Type Here to Get Search Results !

एक यात्रा की कहानी हिंदी में | Story of a Journey in Hindi

दोस्तों आज के इस लेख में आप एक यात्री की कहानी पढ़ेंगे, जो बहुत ही रोचक है, आपको जरूर पसंद आएगी। अंत तक अवश्य पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें।

Story of a Journey in Hindi
Story of a Journey in Hindi

एक यात्री की कहानी हिंदी में!

रामपुर गांव में मोहन नाम का एक व्यक्ति अपनी मां के साथ रहता था और खेती करके अपना गुजारा करता था। मोहन की माँ बूढ़ी होने के कारण अब काम नहीं कर पाती थी।


एक दिन मोहन की माँ ने मोहन से कहा, तुम शादी क्यों नहीं कर लेते, अब हम घर का काम नहीं संभाल सकते। अगर तुमको कोई लड़की पसंद है, तो मुझे बताओ, हम तुम्हारी शादी उस लड़की से करेंगे, जिसे तुम पसंद करते हो। मोहन ने कहा कि मुझे कोई लड़की पसंद नहीं है, मुझे अभी शादी नहीं करनी। आज खेत में बहुत काम करना है, मैंने मजदूरों को आज जल्दी खेत पर आने को कहा है और वो लोग आ भी गए होंगे। इतना कह कर मोहन खेत की ओर चल देता है।

कुछ देर बाद मोहन की बुआ वहां पर आती है। मोहन की मां उनसे कहती है, क्या तुमने इतनी जल्दी घर के काम कर ली? नहीं अब हम घर के काम नहीं करते, बहू किस लिए लाई हूं, वही अब घर की सभी कामकाज करती है। मोहन की मां, अरे बहना तुम्हारा बेटा तो मेरे बेटे से छोटा है फिर भी तुमने उसकी शादी कर दी और एक हमारा बेटा है जो शादी करने को तैयार ही नहीं है।

मोहन की बुआ, चंपापुर गांव में एक लड़की है जो पढ़ी लिखी और सुंदर भी है क्यों ना मोहन को कल वहां लड़की देखने के लिए भेज दिया जाए। मोहन की मां, चंपापुर वह तो बहुत दूर है क्या इतनी दूर की रिश्ता ठीक रहेगा? क्यों नहीं सुंदर लड़की है और पढ़ी लिखी भी है, इससे अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा। ठीक है तो कल ही हम मोहन को शहर लड़की देखने के लिए भेज देते हैं।

मोहन की मां, मोहन तुम कल चंपापुर लड़की देखने के लिए जा रहे हो। क्या मां तुम भी मेरा शादी करवा कर ही मानोगे। ठीक है कल लड़की देखने के लिए मैं इतनी दूर तो जाऊंगा, लेकिन याद रखना लड़की पसंद ना आए तो साफ-साफ मना कर दूंगा।

मोहन चंपापुर के लिए सुबह ही घर से निकल गए।

मोहन घर से 6 मील दूर चलने के बाद उसे भूख और प्यास लगता है तो सोचता है, क्यों ना घर से लाया गया खाना कहीं बैठकर खा लिया जाए। मोहन एक पेड़ के नीचे बैठकर घर से लाया गया खाना और पानी पीता है और कुछ देर आराम करके फिर चंपापुर के लिए निकल पड़ता है।

माथे पर घड़ा लिए दो महिला आपस में बातें करते हुए अपने घर की तरफ।

दो महिला आपस में बात कर रही थी कि हमारा दिन तो सिर्फ पानी लाने में ही बीत जाता है और हमारे पास कोई कामकाज भी नहीं है, भगवान जाने हमारी जीवन कैसे गुजरेगी?

दूसरी महिला, ठीक कहती हो बहना, अब हमें नहीं लगता इस गांव में खेती बाड़ी की जा सकती है। यहां दूर-दूर तक कहीं पानी का एक बूंद नहीं देखने को मिलता।

मोहन 3 मिल चलने के बाद अपने आप में बोलता है, आज काफी धूप और गर्मी भी है, मुझे प्यास भी लगा है, लेकिन कहीं पर पानी का एक बूंद भी नजर नहीं आता अब मैं क्या करूं।

तभी सामने से वे दो महिला माथे पर पानी का घड़ा लिए हुए दिखती है। मोहन, बहना थोड़ा इस कटोरे में पानी मुझे दे दो मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है। भैया तुम इस गांव में ये क्या मांग रहे हो जो इस गांव में कोई किसी को नहीं देता। क्यों यहां पानी खरीदनी पड़ती है क्या?

हां, यहां पानी सिर्फ सोहन के कुएं में ही मिलता है आपको वहीं चला जाना चाहिए, वही पानी मिलेगा। यहां से कितनी दूर है सोहन का घर? यहां से 3 मील दूर सोहन का घर है वहीं पर सस्ते पानी आपको मिलेगा। ठीक है वही ही चला जाता हूं, लेकिन मुझे थोड़ा सा हाथ में ही पानी दे दो।

कुछ दूर चलने के बाद सामने के रास्ते से एक व्यक्ति अपने कांधे पर दो पानी के घड़ा लटकाए हुए मोहन के सामने आता है और बोलता है भैया क्या आपको पानी चाहिए? मोहन बोलता है आप इस गांव में भगवान समान है जो हमें पानी के लिए आपने पूछा। व्यक्ति बोलता है, आपको क्यों ऐसा लगता है हम आप पर दया करके पानी दे रहे हैं, हम तो आपसे बदले में पैसा चाहता हूं।

ठीक है, इस कटोरी में पानी भर दो और बताओ कितने रुपए हुए? उस व्यक्ति ने मोहन के कटोरी में पानी भरके बोला पूरे ₹4 मुझे चाहिए। क्या सिर्फ एक कटोरी पानी का ₹4? हां बिल्कुल सुना आपने।

कुछ दूर चलने के बाद एक पेड़ के नीचे एक बुढ़ा व्यक्ति चिल्ला रहा था, पानी, पानी, पानी..। उनकी आवाज मोहन के कानों तक पहुंची और दौर के मोहन उनके पास गया और उनको पानी पिलाया तभी सामने से एक व्यक्ति आया और बोला भाई तुम यह क्या कर रहे हो?

इस बूढ़े व्यक्ति ने पूरे गांव को धोखा दिया है और सोहन ने कहां है, जो भी इस व्यक्ति को पानी पीलाएगा उसे हम अपनी दुकान से राशन और पानी नहीं देंगे। मोहन बोला आखिर क्यों?

यह व्यक्ति झूठा है और पूरे गांव को गुमराह किया है जो इसकी सजा इसको मिलना ही चाहिए। मोहन बोला आखिर इस बूढ़े व्यक्ति ने पूरे गांव को कैसे गुमराह किया?

कुछ दिन पहले की बात!

तभी बूढ़े ने कहा बेटा मैंने जिस जगह कुआं खोदने को कहा था उसकी जगह सोहन ने दूसरी जगह कुआं खोदा जहां पानी मिलने की कोई संभावना नहीं थी। तभी सोहन वहां पहुंचता है और भीड़ को देखकर कहता है कि यहां क्या हो रहा है? तब मोहन कहता है कि तुमने गांव वालों को गुमराह किया है और इसकी सजा इस बूढ़े को मिल रही है।

मोहन ने कहा बाबा आप बताओ इस गांव में पानी कहां मिलेगा, हम वहां कुआं खोदने के लिए तैयार हैं। बूढ़ा बोला कहीं और क्यों? यहां 14 फीट का गड्ढा खोदने के बाद ही पानी मिलना शुरू हो जाएगा।

मोहन ने कुछ गांव वालों की मदद से वहां गड्ढा खोदना शुरू किया और 14 फीट पहले ही पानी मिल गया। गाँव वाले बहुत खुश हुए और मोहन को धन्यवाद दिया और सोहन को कड़ी सजा दी।

निष्कर्ष

दोस्तों हम आशा करते हैं कि आपको एक यात्री की कहानी पसंद आई होगी, ऐसी ही कहानी और शायरी के लिए हमारी वेबसाइट पर रोजाना विजिट करें और अपनी इच्छा के अनुसार कहानी, शायरी पढ़ें और सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।