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इतिहास के पन्नों की कहानी, टीम इंडिया 36 रन पर ऑल आउट और 32 साल का रिकॉर्ड

2020-21 की कहानी है बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी, इस सीरीज को खेलने के लिए भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंचती है. इस सीरीज का पहला मैच खेलकर कप्तान विराट कोहली अपने निजी कारणों से स्वदेश लौट आने वाले थे।

Border Gavaskar Story 2020-21
Border Gavaskar Story 2020-21

इतिहास के पन्नों की वो कहानी, टीम इंडिया 36 रन पर ऑल आउट

पूरी दुनिया की निगाहें भारतीय टीम पर टिकी थीं और देखना यह था कि क्या भारतीय टीम कंगारुओं के घर में घुसकर यह ट्रॉफी जीत पाएगी? क्रिकेट के बड़े पंडितों की बयानबाजी के बीच टीम इंडिया पहला मैच खेलने एडिलेड ओवल के स्टेडियम में उतरी और टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया.


पहले दिन की पहली पारी में मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ कुछ खास नहीं कर सके। कप्तान विराट कोहली के 70 रन और उपकप्तान अजिंक्य रहाणे के 42 रन के योगदान से भारतीय टीम का कुल स्कोर 244 रन पर सिमट गई।

ऑस्ट्रेलिया टीम की पहली पारी में Marnus Labuschagne के 47 रन और टिम पेन के 73 रन की मदद से कंगारू टीम 191 रन पर सिमट गई. भारत के पास 53 रन की बढ़त थी लेकिन कुदरत को उस दिन कुछ और ही मंजूर था।

तीसरे दिन की दूसरी पारी में जब टीम इंडिया बल्लेबाजी के लिए उतरी तो एक-एक कर सभी भारतीय खिलाड़ी 36 के स्कोर पर ऑल आउट हो गए और भारतीय टीम को दुनिया के सामने शर्मिंदा होना पड़ा. ऑस्ट्रेलिया की टीम ने यह मैच केवल 2 विकेट खोकर जीत लिया।

दुनिया भर के बड़े क्रिकेट पंडितों के बयान आने शुरू हो गए और सोशल मीडिया पर भारतीय टीम के खिलाफ मीम्स वायरल होने लगे।

टीम इंडिया के पास एक ही रास्ता बचा था, वो था इस सीरीज को जीतना और दुनिया को दिखाना कि हम क्रिकेट के शहंशाह हैं. दूसरे टेस्ट से पहले विराट कोहली निजी कारणों से टीम छोड़कर अपने घर लौट गए थे। अजिंक्य रहाणे ने दूसरे टेस्ट में जबरदस्त शतक लगाया और भारत ने यह मैच आठ विकेट से जीतकर सीरीज में वापसी की।

तीसरे टेस्ट में भारत के अश्विन और हनुमा विहारी ने हारे हुए मैच को ड्रॉ करवा कर गजब के खेल का परिचय दिया। लेकिन यहाँ तक पहुंचते पहुंचते भारत ने अपने कई खिलाड़ियों को चोट के कारण गंवा दिए थे, जिनमें मोहम्मद शमी , उमेश यादव, लोकेश राहुल, रवींद्र जडेजा, हनुमा विहारी, अशविन, जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ी थे।

कुल मिलाकर भारत के पास ग्यारह प्रमुख खिलाड़ी भी नहीं थे, जिन्हें मैच में उतारा जा सके। इसी वजह से वाशिंगटन सुंदर और टी नटराजन को एक साथ डेब्यू करना पड़ा। श्रृंखला एक-एक की बराबरी पर खड़ी थी और अंतिम टेस्ट मैच था गाबा के मैदान पर। जहाँ ऑस्ट्रेलिया पिछले बत्तीस सालों से एक भी मैच नहीं गंवाई थी।

32 साल का रिकॉर्ड, गाबा की कहानी।

एक तरफ अपमान और चोट खायी भारतीय टीम तो दूसरी तरफ बत्तीस साल के इतिहास में गाबा के मैदान पर एक भी मैच ना
हारने का ऑस्ट्रेलिया का घमंड। अपने अपमान का बदला लेने और ऑस्ट्रेलिया के गाबा की शान तोड़ने का इससे अच्छा मौका और क्या हो सकता था.

गाबा के मैदान पर अतिरिक्त गति और उछाल मौजूद होती है, जिसकी वजह से चौथी पारी में बल्लेबाजी करना खतरनाक साबित होता है, इसलिए ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया।

Marnus Labuschagne के शानदार एक सौ आठ रनों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पहली पारी में सभी विकेट खोकर 369 रन बनाए। जवाब में बल्लेबाजी करने उतरे भारतीय टीम 186 रन पर छह विकेट गंवाकर संकट में फंसे थे. लेकिन वाशिंगटन सुंदर और शार्दुल ठाकुर ने काउंटर अटैक कर मैच में भारत की वापसी कराएं।

भारत ने सभी विकेट खोकर 336 रन बनाए। इस तरह ऑस्ट्रेलिया को 33 रनों की बढ़त पहली पारी में मिली। दूसरी पारी में मोहम्मद सिराज ने जबरदस्त पांच विकेट चटकाकर ऑस्ट्रेलिया को 294 के स्कोर पर रोक दिया।

अब भारत को जीत के लिए 328 रन के असंभव लक्ष्य का पीछा करना था क्योकिं चौथे दिनों का खेल समाप्त हो चुका था। आखिरी दिन इस खतरनाक ऑस्ट्रेलिया बोलिंग आक्रमण को झेलना काफी कठिन था। यहीं से कहानी शुरू होती है भारत के नए सुपरस्टार की। भारत को पहला झटका रोहित शर्मा के रूप में बहुत जल्द ही लग जाता है, लेकिन इसके बाद संयम और आक्रामकता का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

एक तरफ जहाँ पुजारा चट्टान की तरह खड़े थे तो वहीं गिल तेजी से गेंदों को बाउंड्री के पार करवा रहे थे। ऑस्ट्रेलिया लगातार पुजारा पर प्रहार किए जा रही थी। कभी कंधे, तो कभी हथेली, कभी छाती, अंत में हेलमेट भी टूट गया, लेकिन भारतीय टीम का हौसला नहीं टूटा।

शुभमन गिल के आउट होने के बाद मैदान पर आए ऋषभ पंत. चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद ऋषभ की तबीयत काफी खराब हो गई थी. वह पेन किलर लेकर बल्लेबाजी करने आए, जैसे ही नाथन लियोन की गेंद ने ज्यादा टर्न लिया, सभी को लग रहा था कि आज ऋषभ टिक नहीं पाएंगे, लेकिन अगली ही गेंद पर ऋषभ ने वह कर दिखाया जिसके लिए वह जाने जाते हैं. भारत ने 265 रन पर पांच विकेट गंवा दिए थे और टीम बीच मझधार में फंसी हुई थी। लेकिन ऋषभ पंत ने अपने आक्रामक अंदाज को जारी रखा और पुजारा, वाशिंगटन सुंदर ने साथ दिया.

अब भारत को जीत के लिए सिर्फ तीन रन चाहिए थे और सात विकेट गिर चुके थे. जब ऋषभ ने कवर की ओर शॉट लगाया तो गेंद बाउंड्री के पार चली गई और इसके साथ ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया के गाबा में खेलने का गौरव चकनाचूर कर दिया और अपने अपमान का बदला लिया।

भारतीय टीम ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी उठाकर पूरी दुनिया को बता दिया कि भारतीय टीम को कभी कम नहीं आंका जाना चाहिए।